भाईदूज (Bhaidooj) की पारम्परिक कहानी
एक महिला थी। उसके एक बेटा और एक बेटी थी। बेटी की शादी हो जाती है। एक दिन भाईदूज के अवसर पर भाई अपनी बहन से मिलने जाता हैं।
जब वह रस्ते से गुजरता है तो रास्ते में उसे एक नदी मिलती है नदी कहती है की मैं तो तुझे डुबोऊगी। तब भाई कहता है की में बहुत साल बाद अपनी बहन से मिलने जा रहा हूँ जब में वापस आऊं तब डुबो देना।
तो नदी मान जाती है और उसे रास्ता दे देती है। थोड़ा आगे उसे एक साँप मिलता है वह कहता है की मैं तुझे तो डसूंगा। तब वह कहता है की अभी तो मैं अपनी बहन से मिलने जा रहा हूँ वापस आते समय डस लेना। साँप भी मान जाता है। आगे बढ़ने पर उसे एक शेर मिलता है। वह कहता है की मैं तो तुझे खाऊंगा तब भाई कहता है की अभी के लिए छोड़ दो जब मैं अपनी बहन से मिलकर वापस आऊं तब खा लेना।
अब भाई बहन के घर पहुँचता है तब बहन सूत कात रही होती है। ऐसा कहते है की जिस बहन के इकलौता भाई होता है उसका सूत कातते वक्त अगर टूट जाता है तो वह तब तक बोलती नहीं जब तक वह दुबारा जुड़ न जाये।
जब भाई बहन के घर पहुँचता है तो बो सूत जोड़ रही होती है तो वह उससे बात नहीं करती। भाई सोचता है की में गरीब हूँ शायद इसलिए बहन मुझसे बात नहीं कर रही हैं।
यह तो में गलत ही आ गया जब वह वापस जाने लगता हैं तो बहन का सूत जुड़ जाता हैं और वह अपने भाई को रोकती है उसे प्यार से अंदर लाकर पानी पिलाती है। अब बहन पडोसी के घर जाकर पूछती है की जब कोई प्यारा पावना (मेहमान) आये तो क्या करना चाहिए , पड़ोसन मजाक में बोल देती है की तेल का चौका लगाना चाहिए और घी में चावल चढ़ाने चाहिये।
बहन ऐसा ही करती है तेल का तो चौका लगा देती है और घी में चावल चढ़ा देती है। अब न तो उसका चौका सूखता है और न ही चावल सीजते हैं।यहाँ उसके भाई को बहुत भूख लगती है वह बहन से बोलता है की बहन बहुत भूख लग रही है , तब वह दुबारा पड़ोसन के पास जाती है और बोलती है की न तो चौका सुख रहा है और न चावल सीज रहे है क्या करूं।
पड़ोसन कहती है की में तो मजाक कर रही थी पानी में चावल चढ़ा और गोबर का चौका लगा।
बहन ने ऐसा ही किया। चावल पकने पर घी शक्कर डाल कर अपने भाई को खिलाती है। उसके बाद भाई को टीका करती है। भाई सुबह में जाने को बोलकर खाना खाकर सो जाता है औरबहन सुबह जल्दी उठ कर भाई के लिए गेहूं पीसकर लड्डू बनाती हैं। जब भाई जाता है तो उसको एक पोटली में डालकर दे देती है। भाई चला जाता है।
जब सूरज उगने पर बहन चाकी को देखती है तो उसमे उसे खून दिखाई देते है बह समझ जाती है की कोई जानवर गेहू के साथ पीस गया है और भाई ने अगर लड्डू खा लिए तो वह मर जायेगा।
वह भागती हुई जाती है और अपने भाई को ढूंढ़ती हैं। उसका भाई उसे एक पेड़ के निचे सोता हुआ मिलता है.
वह चिल्लाती हुई जाती है भाई भाई तब भाई कहता है बहन में तो तेरे घर से कुछ नहीं लाया फिर तो मेरे पीछे क्यों आ गयी है।
तब बहन उससे लड्डू लेकर जमीन में गाड़ देती है। तब वह भाई को साडी बात बताती है। भाई सोचता है एक बार तो बहन ने बचा लिया पर अभी तो आगे तीन जगह मौत मेरा इन्तजार केर रही हैं।अब बहन को प्यास लगी तो बाह पानी पीने गयी बहा उसे एक बुढ़िया माता दिखाई दी।बहन ने पूछा आप कोण हो माताजी , बुढ़िया माँ बोली मैं तो विधाता हूँ और एक बहन के इकलौते भाई को ढूंढ रही हूँ।
बह सोचती है ये तो मेरे ही भाई कोई ढूंढ रही है। वह पूछती है अगर ये टालना हो तो क्या करना पड़ेगा।
वह बताती है की उसकी बहन पागल हो जाये उसको बात बात में गाली दे उसकी शादी तक हर घात को टाल दे तो भाई बच सकता है। वह उस बुढ़िया माँ से सरे उपाय जान लेती हैं , और अपने भाई के पास जाकर बोलती है भाई तू यहाँ रुक में घर जाकर आती हूँ में भी तेरे साथ चलूँगी भाई बोलता है ठीक है।
वह घर जाकर जौ की पुली , दूध का कटोरा , और चुनरी लेकर आती हैं। और भाई के साथ हो लेती है।
जब वह आगे बढ़ते है तो उनको सबसे पहले शेर मिलता है वह शेर के लिए जौ का पुला रख देती है शेर उसे खाने लगता है और वे दोनों आगे निकल जाते हैं ,फिर आगे जाने पर उनको साँप मिलता है वे सांप के लिए दूध रखती है तो साँप भी रास्ता दे देता है अब नदी आती है वह नदी को चुनरी उड़ाती है तो नदी भी रास्ता दे देती हैं।
अब वे दोनों घर पहुंचते है। अब माँ भी बेटी को देखती है और बड़ी खुश होती हैं जैसे ही बहन घर पहुँचती है अपने भाई को गाली देने लगती है। माँ बोलती है की तू इसे क्यों लाया है ये तुजे इतनी गाली दे रही है तब भाई बोलता है अभी रास्ते में तो ठीक थी अभी क्या पता पागल हो गयी है क्या।
थोड़े दिन बाद भाई का रिश्ता आता हैं , और उसके शादी के काम शुरू होते है वह हर जगह भाई के साथ रहती हैं। और हर जगह बुढ़िया माँ के कहे अनुसार अपने भाई को हर घात से बचाती है। अब निकासी का वक्त आता है जब बह तोरण मारने लगता है तो कहती है इसको दूसरे दरवाजे से लेजाओ इससे तो में जाऊगी और ऐसा कहकर भाई को गालिया देना शुरू केर देती है
जैसे ही दूल्हा दूसरे दरवाजे से जाने लगता है पहले वाला दरवाजा गिर जाता हैं , सब कहते है भले ही बहन पागल हो भाई को गालिया दे रही हो लेकिन भाई को बचा लेती है बार बार।अब फेरो का वक्त आता है वह बोलती है इसके क्या फेरे होंगे पहला फेरा तो मैं फिरूँगी। जैसे ही बो फेरे फिरने लगती है तो मंडप की लकड़ी आकर उस पे गिर जाती है फिर सब कहते है की इसने तो फिर अपने भाई की जान बचाला ली।
शादी की सुबह वो सबको बताती है की आज के दिन के लिए में चूल्हा पे दूध और पलने में पूत छोड़ के आयी थी मेरे भाई के सात घात थे जो अब सब घात टालने और भाई की जान बचाने के लिए मैं पागल हुई थी , अब मेरा भाई सुरक्षित है अब सब बलाये टल गयी है। अब सबसे पहले बिदा करदो फिर सारे मेहमानो को केर देना , अब माँ बेटी को खुशी से विदा करदेती है और फिर आने को कहती है। उसके बाद से हर बहन भाईदूज के दिन अपने भाई को टीका करती है और भाईदूज की पूजा करती हैं। ये थी भाईदूज की कहानी।