शरद पूर्णिमा से जुडी कुछ रोचक जानकारी/क्यों किया जाता है खीर का सेवन शरद पूर्णिमा पर ?
30 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का शुभ अवसर है। इस दिन शुक्रवार है और शुक्रवार को देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए विशेष दिन माना जाता है। कहा जाता है की शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मीजी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं। सबसे पूछती हैं “को जागृति” यानी “कौन जाग रहा है”? इसी वजह से इस पूर्णिमा को कोजागर पूर्णिमा भी कहते हैं।
आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। मान्यता के अनुसार इस तिथि की रात चंद्रमा की किरणें औषधीय गुणों से युक्त रहती हैं, जिससे कई बीमारियों की रोकथाम होती हैं। इसी कारण शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमाँ की रोशनी में खीर बनाने के रखने की परंपरा है। खीर पर चंद्रमा की किरणें पड़ती हैं, जिससे उसके दिव्य औषधीय गुण खीर में आ जाते हैं। इसके सेवन से स्वास्थ्य को बहुत लाभ मिलते हैं। मन की सकारात्मकता बढ़ती है।
शरद पूर्णिमा पर खीर का सेवन क्यों?
शरद पूर्णिमा से मौसम में सर्द ऋतु की शुरूआत हो जाती है। इस तिथि के बाद से ठंड बढ़ने लगती है। शीत ऋतु का आगमन होता है। शरद पूर्णिमा की रात में खीर का सेवन करना इस बात को दर्शाता है कि सर्दी की ऋतु में हमें गर्म पदार्थों का सेवन करना चाहिए, क्योंकि इन्हीं चीजों से ठंड से लड़ने की भरपूर शक्ति मिलती है। खीर में दूध, चावल, सूखे मेवे आदि पौष्टिक चीजें डाली जाती हैं, जो कि शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक होती हैं। इनसे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
श्रीकृष्ण की गोपियों संग रासलीला
इस तिथि के संबंध में श्रीकृष्ण से जुड़ी एक मान्यता प्रचलित है। माना जाता है कि श्रीकृष्ण ने गोपियों संग वृंदावन में शरद पूर्णिमा पर रासलीला रचाई थी। इसीलिए वृंदावन में शरद पूर्णिमा के अवसर पर विशेष आयोजन किए जाते हैं।
देवी लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व
ऐसा माना शरद पूर्णिमाँ की रात में देवी लक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं। इसी वजह देवी की कृपा प्राप्ति के लिए लोग इस रात में लक्ष्मीजी का विशेष पूजन करते हैं। रातभर जागकर पूजा-पाठ की जाती है। लक्ष्मीजी के स्वागत के लिए दीपक जलाए जाते हैं। इस दिन महालक्ष्मी के मंत्र का जाप का विशेष महत्त्व है l